हरियाणा की खट्टर सरकार में घोटाला?
नितिन गडकरी को भी समन जारी
– इस कथित घोटाले के संबंध में गुरूग्राम की सैशन कोर्ट ने 2 मामले दाखिल कर लिये हैं.
– एक मामला बनाम हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर पर और एक बनाम परिवहन मंत्री नितिन गडकरी पर है.
– आरोप हैं कि एक्टिवा स्कूटी से लेकर लक्ज़री कारों, बड़े वाहनों की खरीद में उपभोक्ता ज़्यादा पैसा भर रहे हैं और कागज़ों में कम कीमत दिखाई जा रही है. जैसे 90 लाख की मर्सिडीज़ खरीदी तो 10% टैक्स लगता है. यानी 9 लाख रूपए टैक्स ग्राहक ने भरा. ये टैक्स जाएगा सरकारी खजाने में. लेकिन कीमत दिखाई जाती है 30 लाख तो सरकारी खज़ाने में गए 3 लाख और बाकी 6 लाख गए किसी और की जेब में.
– इन दोनों मुक़दमों में 28 लोगों को आरोपी बनाया गया है जिसमें प्रधानमंत्री कार्यालय से लेकर ARPGI (Administrative reforms & Public grievances of India), हरियाणा के मुख्यमंत्री कार्यालय, हरियाणा के परिवहन मंत्री कृष्ण पंवार, ट्रांसपोर्ट विभाग हरियाणा, प्रशासनिक अधिकारी, गुरूग्राम पुलिस कमिश्नर शामिल हैं.
– अदालत ने सभी आरोपियों को समन जारी किए हैं. कुछ समन के बाद भी पेश नहीं हुए तो ज़मानती समन जारी हुए हैं यानी कि आकर ज़मानत ले सकते हैं. अब भी पेश ना हुए तो गैर-ज़मानती समन जारी होंगे.
– ये लगभग सभी राज्यों में हो रहा है. इसकी शिकायत परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और प्रधानमंत्री कार्यालय को कई बार की गई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.
– वाहनों की temporary registration में भी घपले का आरोप है. सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि 200 रूपए से ज्यादा temporary registration शुल्क ना लिया जाए लेकिन 500 से लेकर 1500 तक की अवैध वसूली हो रही है.
– वरिष्ठ आईएस अधिकारी अशोक खेमका की एक चिट्ठी भी सबूत के तौर पर संलग्न की गई है. तीन साल पहले की ये चिट्ठी है जब खेमका परिवहन विभाग के सेक्रेटरी थे. उन दिनों सरकार ने ओवरसाइज़ वाहनों को बंद कर दिया था जो कि मोटर व्हीकल एक्ट के प्रावधानों के मुताबिक नहीं थे. इस एक्ट में वाहनों के साइज़ को लेकर भी कानून है.
आरोप है कि सात प्रमुख कारपोरेट कंपनियों के CEOs मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से चंडीगढ़ में मिले और उसके बाद खट्टर ने अपने ही सरकार के फ़ैसले को एक साल के लिए स्थगित कर दिया. जब ये आदेश परिवहन विभाग के तत्कालीन सेक्रेटरी अशोक खेमका के पास आया तो उन्होंने इस आदेश पत्र पर कड़ा नोट लिख डाला कि ये आदेश पालन करने योग्य नहीं है और मोटर व्हीकल एक्ट के प्रावधानों और सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के खिलाफ है. खेमका को इसके बाद परिवहन विभाग से ट्रांसफर कर दिया गया.
– सरकार ने फैसला एक साल के लिए स्थगित किया था लेकिन 3 साल से ऐसा ही चल रहा है.
– अगली सुनवाई 20 अप्रैल को है
नोट – इसमें इतने लोग संलिप्त है कि शायद इसका फैसला आने तक काफ़ी देर हो जाए, ये भी हो सकता है कि भ्रष्टाचार के कई मामलों की तरह इसमें भी कहा जाए कि कुछ हुआ ही नहीं. लेकिन ये जानकारी मुझे राजनीतिक पार्टियों के लोगों से ही मिली है कि जो 300-400 करोड़ पार्टी फंड में देने के लिए एमपी, एमएलए, मुख्यमंत्रियों से मांगा जाता है, दरअसल, उसके लिए ब़कायदा ट्रेनिंग होती है कि सरकारी खज़ाने से कैसे और कहां से पैसा निकाला जाए.
(ये लेख बीबीसी की पत्रकार सर्वप्रिया सांगवान की फेसबुक वॉल से लिया गया है।)