15 नवंबर को जी न्यूज़ अपना शो ‘ताल ठोक के’ उज्जैन (मध्य प्रदेश) से किया। मध्य प्रदेश में विधानसभा के चुनाव हो रहे हैं ऐसे में ग्राउंड जीरो से शो करना अच्छी बात है।

शो की शुरूआत संस्कृत के श्लोक से होता है। अब श्लोक का चुनाव से क्या लेना देना ये तो एंकर अमन चोपड़ा ही बता सकते हैं। शो के इंट्रो में अमन चोपड़ा कहते हैं ये महाकाल की नगरी उज्जैन है। इसके बाद वहां के ज्योतिर्लिंग की माइथोलॉजी बताई जाती है।

सवाल उठता है कि चुनावी कवरेज के लिए उज्जैन को महाकाल से जोड़ने की क्या जरूरत है? ज्योतिर्लिंग की माइथोलॉजी पढ़ाने की जरूरत है? क्या ये चुनाव को धर्म से जोड़ने का प्रतीकात्मक तरीका नहीं है?

क्योंकि शो चुनाव के मद्देनजर हो रहा है तो उज्जैन का परिचय वहां के विधायक द्वारा किए विकास कार्य, सड़क, पानी, बिजली की सुविधा आदि से भी किया जा सकता था।

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ख़ैर, इसके बाद कैमरा एंकर अमन चोपड़ा के चेहरे पर जूम हो है और भारत के धर्मनिरपेक्ष होने पर संदेह होने लगता है। लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहे जाने वाले मीडिया का ये चेहरा बहुत ही भयावह है।

एंकर अमन चोपड़ा अपने मस्तक पर चौड़ा सा तिलक लगा कर शो करते नजर आते हैं। भारत एक धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक देश है। ऐसे में भारत की मीडिया को भी धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक होना ही चाहिए।

अमन चोपड़ा द्वारा तिलक लगाकर शो करने को ‘धर्म मानने की आजादी’ वाले चादर से ढका नहीं जा सकता है। अगर ऐसा है तो अमन चोपड़ा हर दिन अपने ऐसे तिलक लगाकर शो क्यों नहीं करते? रिलीजियस ओरिएंटेशन और प्रोफेशनलिज्म की इस खिचड़ी को किसी भी तर्क के साथ हजम नहीं किया जा सकता।

पत्रकार अपने काम के दौरान सिर्फ पत्रकार होता है हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, पारसी, जैन, बुद्ध… आदि नहीं। जब अमन चोपड़ा ऑन एयर अपना हिंदुवादी चेहरा दिखाएंगे तो दूसरे धर्म के लोग उनके शो में खुद को कहां पाएंगे?

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