केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने अपनी डिग्री को लेकर छिड़ी बहस पर ख़दु ही पूर्ण विराम लगा दिया है। येल यूनिवर्सिटी की डिग्री दिखाने का दावा करने वाली ईरानी ने अब यह मान लिया है कि वह स्नातक भी नहीं हैं।

दरअसल, स्मृति ईरानी ने गुरुवार को अमेठी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए अपना नामांकन दाखिल किया। इस नामांकन में उन्होंने अपनी उच्चतम शैक्षणिक योग्यता बीकॉम पार्ट-वन घोषित की है।

नामांकन के लिए दाखिल किए गए हलफनामे के मुताबिक, ईरानी ने 1994 में दिल्ली विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग में बैचलर ऑफ कॉमर्स कोर्स में दाखिला लिया, लेकिन उन्होंने इस कोर्स को पूरा नहीं किया।

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2019 लोकसभा चुनाव के लिए उनका हलफनामा इस बात की पुष्टी करता है, कि तीन साल का डिग्री कोर्स उन्होंने पूरा नहीं किया है। हलफनामे के मुताबिक, ईरानी ने 1993 में होली चाइल्ड ऑक्सिलियम स्कूल से इंटरमीडिएट किया।

हालांकि, इस दावे की सत्यता भी शक के घेरे में है, क्योंकि दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) के रजिस्ट्रार ऑफ स्कूल, ओपेन लर्निंग स्मृति ईरानी के कक्षा 12 के दस्तावेजों को मेटरोपोलिटन कोर्ट में पेश करने में नाकाम रहे थे।

तीन साल पहले 2016 में, अहमर खान ने दिल्ली की एक अदालत में एक याचिका दायर की थी, और दावा किया था कि ईरानी ने जानबूझकर चुनाव पैनल के समक्ष दायर हलफनामों में उनकी शैक्षिक योग्यता के बारे में ग़लत जानकारी दी। खान ने आरोप लगाया था कि इस मुद्दे पर ईरानी ने कोई स्पष्टीकरण भी नहीं दिया।

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ग़ौरतलब है कि गलत विवरण देना आईपीसी के प्रावधानों और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम (आरपीए) की धारा 125 ए के तहत दंडनीय कार्य है।

बता दें कि ईरानी ने अप्रैल 2004 के लोकसभा चुनावों के लिए अपने हलफनामे में दावा किया था कि उन्होंने 1996 में डीयू (स्कूल ऑफ कॉरेस्पोंडेंस) से बीए पूरा किया था, जबकि गुजरात से राज्यसभा चुनाव में लड़ने के लिए एक अन्य हलफनामे में उन्होंने कहा, उनका सर्वोच्च शैक्षिक योग्यता डीयू के स्कूल ऑफ कॉरेस्पोंडेंस से बी.कॉम पार्ट-1 थी।

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