राफेल भ्रष्टाचार के आरोपों को छुपाने की मोदी सरकार की हर कोशिश नाकाम होती दिख रही है। वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण, पूर्व केन्द्रीय मंत्री यशवंत सिंहा और अरुण शौरी की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट राफेल मामले पर दोबारा सुनवाई के लिए तैयार हो गया है।

राफेल मामले पर बुधवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की दलीलों को खारिज कर दिया है। शीर्ष कोर्ट ने रक्षा मंत्रालय से लीक हुए दस्तावेजों की वैधता को मंजूरी दे दी है। कोर्ट के फैसले के मुताबिक याचिकाकर्ता के दिए दस्तावेज अब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के हिस्सा होंगे।

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की उन प्रारंभिक आपत्तियों को खारिज कर दिया, जिसमें सरकार ने याचिका के साथ लगाए दस्तावेजों पर विशेषाधिकार बताया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राफेल मामले में रक्षा मंत्रालय से फोटो कॉपी किए गोपनीय दस्तावेजों का परीक्षण करेगा।

बढ़ सकती है मोदी सरकार की मुश्किलें

राफेल डील पर नरेंद्र मोदी सरकार कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दलों के निशाने पर है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सार्वजनिक मंचों से पीएम मोदी पर राफेल डील को लेकर निशाना साधते रहे हैं और अनिल अंबानी के लिए रक्षा करार में बड़ा बदलाव का आरोप लगाते रहे हैं।

ऐसे में राफेल मामले पर सुप्रीम कोर्ट के दोबारा सुनवाई के फैसले से एक तरफ जहां बीजेपी को झटका लगा है, वहीं कांग्रेस के लिए राहत की खबर है। राफेल मामले पर सुप्रीम कोर्ट के दोबारा सुनवाई के फैसले के बाद मोदी और बीजेपी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मायावती ने बीजेपी पर कसा तंज

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मायावती ने ट्वीट कर मोदी के भ्रष्टाचार छुपाने के सारे प्रयासों को असफल करार दिया है। उन्होंने लिखा, राष्ट्रीय सुरक्षा की आड़ में राफेल रक्षा सौदे में भारी गड़बड़ी/भ्रष्टाचार को छिपाने की पीएम श्री मोदी सरकार की कोशिश विफल। सुप्रीम कोर्ट में बीजेपी सरकार पूरी तरह घिरी। संसद के भीतर व बाहर बार-बार झूठ बोलकर देश को गुमराह करने के लिए श्री मोदी माफी मांगे व रक्षा मंत्री इस्तीफा दें।

आपको बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट में राफेल मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ कर रही है। वहीं केंद्र की तरफ से अटार्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने कहा था कि संबंधित विभाग की अनुमति के बिना कोई उन्हें अदालत में पेश नहीं कर सकता, क्योंकि इन दस्तावेजों को सरकारी गोपनीयता कानून के तहत भी संरक्षण मिला है। प्रशांत भूषण ने सु्प्रीम कोर्ट में दलील दी थी कि केंद्र सरकार की आपत्तियां दुर्भावनापूर्ण हैं और पूरी तरह अविचारणीय हैं।

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