नोटबंदी के समय रिज़र्व बैंक (RBI) के गवर्नर रहे उर्जित पटेल ने अपनी नई किताब में दावा किया कि मोदी सरकार ने इंसॉल्वेंसी और बेंकरप्सी क़ानून के नियमों में ढील दी और केंद्रीय बैंक की शक्तियों में भी कमी की है जिससे एनपीए की समस्या को हल करने के लिए साल 2014 से जो कोशिशें की गई थीं। उन पर नकारात्मक असर पड़ा है।

आरबीआई चाहता था कि बैंकरप्सी क़ानून को सख़्त बनाया जाए ताकि भविष्य में जो कंपनियां डिफ़ॉल्ट करने की फ़िराक़ में हों उन्हें सबक़ मिले लेकिन मोदी सरकार ने ऐसा करने से रोक दिया।

आज उन्ही के समय उप गर्वनर रहे विरल आचार्य ने भी अपनी नई किताब में मोदी सरकार की जमकर आलोचना की उन्होंने कहा कि मोदी सरकार चाहती थी कि रिजर्व बैंक लोन न चुकता कर पाने वालों के प्रति नरम रहे। साथ ही सरकार चाहती थी कि बैंकों की तरफ से कर्ज देने के नियमों में भी ढील दी जाए।

अपनी किताब में उन्होंने सरकार की तरफ से अधिक मॉनिटरी और क्रेडिट सिटमुलस को लेकर भी सवाल उठाएं हैं। उन्होंने लिखा है कि इन स्टिमुलस से भारत के फाइनेंशियल सेक्टर की स्थिरता खत्म हो गई।

उर्जित पटेल और विरल आचार्य रिजर्व बैंक की स्वायत्तता बनाए रखने के प्रबल समर्थकों में से एक थे। उन्होंने कई बार अपने भाषणों में रिजर्व बैंक की स्वायत्तता का समर्थन किया था। आज शक्तिकांत दास के नेत्तृत्व में आरबीआई पूरी तरह से सरकार का गुलाम बना हुआ है लेकिन अंधभक्तो को इनकी बाते समझ नहीं आ रही है वे UPA के एनपीए की ही दुहाई देते रहेंगे।

आप बताओ ना 6 साल से सरकार सत्ता में बनी हुई है मोदी सरकार ने कितना एनपीए वसूल लिया? साल दर साल भारत के सरकारी बैंक इन चोर पूंजीपतियों का पैसा राइट ऑफ़ करे जा रहे है सरकार मजे से उनको इंटरटेन कर रही है हम जैसे लोग के पीछे ट्रोल की पूरी फौज लगा देते है कि यूपीए का एनपीए है अरे आप अपनी बात करो ना ? मोदी कितना एनपीए वापस लाया है आंकड़े तो बताओ ?

(ये लेख पत्रकार गिरीश मालवीय के फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है)

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