कल रामनवमी के मौके पर देशभर में जिस तरह उत्पात मचाया गया उसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। कहीं भगवा झंडे के साथ तलवार लहराई जा रही थी, तो कहीं मस्जिद की मीनार पर भगवा झंडा लगाया जा रहा था।
मध्य प्रदेश से एक तस्वीर ऐसी भी आई जहां हुड़दंगाइयों द्वारा रेलवे की दीवार गिराई जा रही थी। कुछ ऐसी ही तस्वीर JNU से भी आई, जहां नॉनवेज के नाम पर हिंसा की गई, एबीवीपी द्वारा लेफ्ट के छात्रों पर हमला किया गया। चारों तरफ बने ऐसे माहौल के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी पर सवाल उठने लगे हैं।
इसी पर प्रतिक्रिया देते हुए फिल्मकार विनोद कापड़ी ट्विटर पर लिखते हैं- “मैं ये बात पूरी ज़िम्मेदारी से लिख रहा हूँ नरेंद्र मोदी हिंसा और नफ़रत को अपने मौन समर्थन से इस देश को गृह युद्ध की तरफ़ धकेल रहे हैं और जब ये होगा – हालात सबके लिए भयावह होंगे। सबके लिए।
इस देश को बचाना है तो मीडिया और न्यायपालिका को तुरंत इस ज़हर पर बोलना होगा।” अलग-अलग राज्यों में और देश की राजधानी दिल्ली में घटी घटनाओं में एक चीज जो कॉमन रही है, वो ये है कि अटैक करने वाले ज्यादातर लोग हिंदुत्ववादी दक्षिणपंथी संगठनों के हैं।
ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल और भी बढ़ जाते हैं कि क्या उनके शासनकाल में एक खास विचारधारा के लोगों को अपराध करने की छूट मिल रही है?