प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई दफा अपने भाषणों में सेना और उनकी उपलब्धियों को गिनवाया करते है। इस बहस के बीच पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इसकी कड़े शब्दों में निंदा की है।

उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार के दौरान भी कई सर्जिकल स्ट्राइक हुईं थीं पर हमने उनका इस्तेमाल वोट मांगने के लिए कभी नहीं किया। साथ ही यूपीए सरकार का बचाव करते हुए मनमोहन बोले, ‘हमारे लिए सैन्य अभियान भारत विरोधी ताकतों को करारा जवाब देने के लिए था ना की वोट मांगने के लिए।’

मोदी-शाह कई बार 26/11 का हवाला देते हुए यूपीए सरकार की नाकामियों के बारे में बात करते हैं। बुधवार को संयुक्त राष्ट्र ने पुलवामा आतंकी हमले के मास्टरमाइंड मसूद अज़हर को ब्लैकलिस्ट कर उसे अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित कर दिया है।

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इसपर मनमोहन सिंह ने अपने बचाव में कहा, ‘तथ्यों के अभाव में कोई भी कुछ भी कह सकता है। मै इस बात से असहमत हूं कि उस दौरान हम सैन्य कार्रवाई के लिए तैयार नहीं थे। हमारा तरीका पकिस्तान को कूटनीतिक तरीकों से ‘आतंकवाद का अड्डा’ के रूप में सामने लाना था। जिसमे हम कामयाब भी हुए।

मुंबई पर हुए हमले के 14 दिन के भीतर हमने 1267 संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध समिति के तहत चीन से हाफिज सईद को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने पर मजबूर कर दिया था।’

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बुधवार को पुलवामा आतंकी हमले के करीब दो महीने बाद मास्टरमाइंड मसूद अज़हर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित कर दिया गया। जिसका श्रेय लेने बीजेपी के नेता सबसे आगे खड़े हो गए। जबकि मनमोहन सिंह ने दावा किया कि बिना शोर मचाए उनकी सरकार ने चीन पर दबाव डालकर उनसे 14 दिन के भीतर हफिस सईद को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित कराया था।

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