narendra modi
Narendra Modi
अदनान अली

मोदी सरकार के निवेश ना करने के कारण बेरोज़गारी दर 43 महीनों में सबसे ज़्यादा

लॉकडाउन लागू होने के बाद से ही ये तर्क बार-बार दिया जा रहा है कि गरीब आदमी कोरोना वायरस से संक्रमित हो या ना हो भूख से ज़रूर मर जाएगा और हाल ही में आए आँकड़े इस तर्क के दावे को और मज़बूत करते हैं।

लॉकडाउन से कोरोना वायरस के ज़्यादा ना फैलने का खतरा ज़रूर कम हो गया हो लेकिन बेरोज़गारी लगातार फैल रही है। सेंटर फ़ॉर मोनिटरिंग ऑफ इंडियन इकॉनमी (CMIE) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार मार्च 2020 में बेरोज़गारी दर 23% हो गई है। ये रिपोर्ट उस सर्वे पर आधारित है जिसे CMIE हर तीन महीनों में करता है।

पिछले 43 महीनों में बेरोज़गारी दर पहली बार इतनी ज़्यादा हुई है। मतलब सितंबर 2016, से अब तक इतने ज़्यादा लोग बेरोज़गार नहीं हुए थे। बता दें कि बेरोज़गारी को बढ़ाने के लिए सिर्फ लॉकडाउन ज़िम्मेदार नहीं है, CMIE के मुताबिक, जनवरी 2020 में ये दर 7.16% थी और 24 मार्च 2020 तक 8.7%।

24 मार्च 2020 को लॉकडाउन जारी होने के बाद CMIE को अपना सर्वे बंद करना पड़ा लेकिन बेरोज़गारी के इतने ज़्यादा मामले सामने आना शुरू हुए कि संस्था ने फ़ोन पर लोगों से बात कर ये सर्वे पूरा किया और अप्रैल में रिपोर्ट जारी की।

जैसा कि ऊपर बताया गया कि बेरोज़गारी दर बढ़ने के लिए केवल लॉकडाउन ज़िम्मेदार नहीं बल्कि केंद्र सरकार का निवेश ना करना भी एक बड़ा कारण है।

पूरे विश्व में लॉकडाउन लागू होने के बाद सभी देश जनता और अर्थव्यवस्था के लिए निवेश करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। अमेरिका, चीन, जापान और अन्य कई देशों ने इस संकट की घड़ी से उभरने के लिए अपनी जीडीपी का 5% से 20% तक खर्च करने का ऐलान किया है। वहीं भारत सरकार ने कोरोना वायरस के लिए आर्थिक पैकेज के रूप में 1.7 लाख करोड़ रुपये खर्च करने का ऐलान किया है जो भारतीय जीडीपी का केवल 0.8% है।

पूरे विश्व में अलग-अलग देशों द्वारा दिये जाने वाले ये आर्थिक पैकेज स्वास्थ विभाग को मदद करने से लेकर राशन बाँटने और जनता के एकाउंट में पैसे ट्रांसफर करने से संबंधित होते हैं।

दरअसल जब जनता के हाथ में पैसा होता है तो वो खर्च करते है और मांग की कमी नहीं होती है और बाज़ार में निवेशकों के बीच डर का माहौल नहीं बनता है। एक फैक्टरी से मालिक से लेकर तक एक बड़ी कॉरपोरेट कंपनी तक में ये आशा रहती है कि बाज़ार में मांग है और इसलिए उन्हें काम की कमी नहीं होगी और इस तरह वो अपने कर्मचारियों को नौकरी से नहीं निकालते हैं। भारत में केंद्र सरकार द्वारा कम निवेश के कारण बाज़ार में डर का माहौल बन रहा है और लोग बेरोज़गार हो रहे हैं।

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