उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हुए हिंसक प्रदर्शनों के बाद प्रदर्शनकारियों की गिरफ्तारियों का सिलसिला जारी है। पुलिस प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार करने के लिए कथित तौर पर घरों पर दबिश दे रही है और प्रदर्शनकारियों के परिजनों से मारपीट और बदसलूकी कर रही है।
पुलिस की इसी बर्बर कार्रवाई के ख़िलाफ़ शुक्रवार को जामिया यूनिवर्सिटी के साथ और भी कई यूनिवर्सिटीज़ के छात्र संगठनों ने दिल्ली स्थित यूपी भवन पर धरना प्रदर्शन का आयोजन किया। लेकिन पुलिस ने छात्रों को प्रदर्शन नहीं करने दिया। जो भी छात्र प्रदर्शन करने के लिए यूपी भवन पहुंचे पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया।
हिरासत में लिए जाने वाले छात्र कहते रहे कि वो यहां शांतिपूर्ण प्रदर्शन के लिए आए हैं, जो उनका संवैधानिक अधिकार है। लेकिन पुलिस ने उनकी एक नहीं सुनी। पुलिस ने जबरन घसीटते हुए छात्रों को गाड़ी में भरना शुरु कर दिया। जिसके बाद हिरासत में लिए गए छात्रों को मंदिर मार्ग पुलिस थाने में ले जाया गया।
पुलिस ने बताया कि अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा वहां लागू था। जिसके तहत एक स्थान पर चार या चार से अधिक लोगों के जमा होने को प्रतिबंधित कर दिया गया है। हालंकि इस दौरान पुलिस ने कई ऐसे छात्रों को भी गिरफ्तार किया जो अकेले ही हाथों में तख्तियां लेकर पहुंचे थे।
दिलचस्प बात तो ये है कि पुलिस ने कांग्रेस नेता एवं पूर्व सांसद उदित राज को भी नहीं बख्शा। उदित राज भी छात्रों के समर्थन में यूपी भवन पहुंचे थे। लेकिन जैसे ही वह अपनी गाड़ी से नीचे उतरे, पुलिस ने उन्हें दबोच लिया। पुलिस की इस कार्रवाई पर जब पूर्व सांसद ने सवाल उठाए तो उनसे कहा गया कि आप यहां प्रदर्शन नहीं कर सकते।
ग़ौरतलब है कि बीते कल ही केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) का विरोध करने वालों को टुकड़े-टुकड़े गैंग करार देते हुए उन्हें सबक सिखाने की बात कही है। उन्होंने कहा था, “मैं कहना चाहता हूं, दिल्ली में हुई हिंसा के लिए कांग्रेस पार्टी की अगुवाई में टुकड़े-टुकड़े गैंग जिम्मेदार हैं। उन्हें सबक सिखाने की जरूरत है। दिल्ली के लोगों को उन्हें सबक सिखाना चाहिए”।
गृहमंत्री के इस बयान के बाद आज जिस तरह से पुलिस ने नागरिकता कानून का विरोध करने वाले छात्रों और कांग्रेस नेता को हिरासत में लिया, उससे यह अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि पुलिस ने ये कार्रवाई किसके आदेश पर की। क्या ये मान लेना चाहिए कि अमित शाह ने नागरिकता कानून का विरोध करने वालों को सबक सिखाना शुरु कर दिया है?