इस समय मोदी सरकार में देश कई समस्याओं से जूझ रहा है। बेरोजगारी, मंदी, गिरती जीडीपी, पर्यावरण एमरजेंसी आदि और भी बेहद गंभीर मुद्दे हैं। मगर इन सबके बावजूद भी मीडिया मोदी सरकार का साथ दे रहा है और उसके पक्ष में एजेंडा रिपोर्टिंग कर रहा है।

मानो ऐसा लग रहा हो जैसे मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ बनकर जनता के साथ नहीं बल्कि सरकार का भोपू बनकर काम कर रहा है। इसीलिए मीडिया की सरकारी रिपोर्टिंग करने पर जागरूक लोग चिंता जाहिर कर रहे हैं।

पांच दशक से राजनीति कर रहे वरिष्ठ नेता शरद यादव मीडिया को सलाह दी है। उन्होंने ट्वीट करके कहा है कि, “जिस तरह से प्रदूषण के बारे में प्रेस मीडिया में खबरें चल रही हैं ऐसा देश में जो इकोनॉमिक एमरजेंसी जैसी स्तिथि पैदा हो रखी है उसके बारे में नहीं आती हैं। हमारे सभी पत्रकार भाई बहनों को सोचना होगा कि विपक्षी दलों की खबरें और जो भी सरकार की कमियां हैं उनको उजागर करना ही पत्रकारिता है।”

वहीं जाने माने पठकथा लेखक, गीतकार और स्टैंड-अप कॉमेडियन वरुण ग्रोवर ने आज तक के मंच से आज तक के ‘साम्प्रदायिक डिबेट एजेंडे’ पर उसे बेनकाब किया।

उन्होंने आजतक और अन्य दूसरे समाचार चैनलों की डिबेट पर बात की और पोल पट्टी खोलते हुए कहा, पिछले कुछ समय में 202 टीवी डिबेट हुए हैं, जिसमें से पाकिस्तान पर 80 डिबेट हुए हैं, राम मंदिर पर 14 हुए हैं, बिहार में भयंकर बाढ़ आई लेकिन उसपर सिर्फ 3 डिबेट हुए, PMC बैंक घोटाले पर महज 1 डिबेट हुआ है। बेरोजगारी पर शुन्य (0) डिबेट हुए हैं, हेल्थ, शिक्षा, इन्फ्रास्ट्रक्चर, महिला सुरक्षा पर शुन्य डिबेट हुआ है, पर्यावरण पर शुन्य डिबेट हुआ है।”

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