कोरोना महामारी को भारत में दस्तक दिए लगभग सवा साल हो चुके हैं और अब दूसरी लहर में हजारों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं मगर सरकार की तरफ से न तो कोई ठोस तैयारी की गई है और न ही कोरोना वारियर्स को पर्याप्त सुविधा और सुरक्षा।

अस्पतालों में अव्यवस्था की तस्वीरें पूरे देश से आ रहे हैं, इसके साथ ही दवाई और इंजेक्शन की किल्लत देखने को मिल रही है। बीमार को एंबुलेंस न मिलने से लेकर मृतकों के लिए शव वाहन की व्यवस्था तक नहीं हो पा रही है।

इन भारी अव्यवस्थाओं के बीच जो कुछ स्वास्थ्यकर्मी काम कर रहे हैं उनको मिलने वाली सुविधाओं की भी कटौती की जा रही है। इसी का उदाहरण है पिछले साल हेल्थ केयरवर्कर्स के लिए चलाई गई इंश्योरेंस स्कीम, जिसे बंद कर दिया गया है।

केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय में सचिव राजेश भूषण के लेटर पैड पर जारी की गई सूचना से पता चलता है कि पिछले साल 30 मार्च को ये योजना चालू की गई थी।

जो शुरुआती तौर पर 90 दिन के लिए निर्धारित थी, जिसे समय-समय पर एक्सटेंड किया जाता रहा। लेकिन 24 मार्च 2021 को इसका एक्सटेंशन रोक दिया गया।

गौरतलब है कि इस इंश्योरेंस के तहत कोरोना से लड़ रहे स्वास्थ्य कर्मियों को 50 लाख रुपए तक का कवर दिया जाता था, जिसे अब सरकार ने बंद कर दिया है।

इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल लिखते हैं- शर्मनाक! हेल्थकेयर वर्कर्स के लिए कोरोना काल के शुरू में लाई गई केंद्र सरकार की इंश्योरेंस स्कीम 24 मार्च, 2021 से बंद कर दी गई है।

इस स्कीम के तहत, मृत स्वास्थ्यकर्मी के परिवार को 50 लाख रुपए दिए जा रहे थे। आप नरेंद्र मोदी, निर्मला सीतारमण और डॉ हर्षवर्धन को लानत भेज सकते हैं।

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