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Delhi Riots: दिल्ली हिंसा में जलकर राख तो नहीं हुई लेकिन नफरत करने वालों की नस्लों पर सवाल जरूर छोड़ गई है। यह सवाल उन तमाम मासूमों और माओं की आंखों से गिरते आंसू कर रहे हैं। यह सवाल अंकित शर्मा की माँ, राहुल सोलंकी के पिता और मृतक मुद्दसिर खान के मासूम बेटे के आंखों से गिरते आंसू कर रहे हैं।

किसने भड़काऊ बयान दिया, किसने आग लगाई वो कौन लोग थे दिल्ली को जलाकर 40 से ज्यादा जिंदगियां लील गए। क्या कपिल मिश्रा (Kapil Mishra) की नस्लें खुद उससे सवाल नहीं पूछेंगी? क्या भविष्य में लोग यह सवाल कपिल मिश्रा के मासूमों से नहीं करेंगे ? तुच्छ राजनीति के लिए 40 बेकसूरों की जान चली गई। जरूर एकदिन सवाल पूछा जाएगा।

मुस्तफाबाद के मुद्दसिर खान अब इस दुनिया में नहीं है। कल जब उनका शव घर पहुंचा तो पूरे इलाके का दर्द से दिल फट गया। रॉयटर्स के फोटो जर्नलिस्ट अदनान आब्दी ने दुनिया को अलविदा कह चुके मुद्दसिर ख़ान के जनाज़े की एक ऐसी तस्वीर कैमरे में कैद की है। जो सैकड़ों सवाल पूछ रही है।

एक मासूम अपने पिता को खामोश लेटा देखकर रो-रोकर क्या सोच रहा होगा ? जिस उम्र में उसे अपने पिता का साथ चाहिए था उस उम्र में उसके पिता उसका साथ छोड़कर चले गए। नेताओं की फैलाई नफरत ने अब उसके सिर से पिता का साया छिन लिया है।

अब वह स्कूल के बाहर अपने पिता का इंतजार नहीं करेगा। अच्छा रिजल्ट लाने पर उसको शाबाशी कौन देगा ? दुनिया में अच्छे-बुरे का फर्क अब उसके कौन बताएगा ? उसके आंँखों से गिरता एक-एक आंसू देश से सवाल पूछ रहा है ? क्या कुसूर था उसका जो इतनी छोटी उम्र में उसके पिता का साया उससे छीन लिया गया?

जब यह रोती हुई तस्वीर सोशल मीडिया पर दिखाई पड़ी तो लोगों ने अपने बच्चों को सोचकर सवाल पूछे। अब लालू यादव की पार्टी राजद ने इस तस्वीर को ट्विटर पर शेयर करते हुए लिखा-

संविधान को एक सोई किताब मानने वालों, इंसानों को हिन्दू-मुसलमान में बाँटने वालों, अपने ज़हर से घरों को बर्बाद करने वालों, अपनी सियासत के लिए खून बहाने वालों, अगर इस बच्चे का दर्द तुम्हें नहीं झकझोरता है तो आज मान लो कि तुम इंसान नहीं! और यह देश वही अपना पुराना हिंदुस्तान नहीं!

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