देश की सबसे बड़ी टेलिकॉम कंपनी जो हिंदुस्तान में बहुत ही कम लागत में लोगों को इंटरनेट मुहैया कराती है। लोगों को हर महीने कुछ न कुछ ऑफर देकर लुभाते रहती है। लेकिन अब अपने यहां घटते मुनाफ़े को लेकर अपने ही कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा रही है।

पिछली एनडीए की सरकार खासकर मोदी ने हर साल दो करोड़ रोजगार देने और देश की आर्थिक विकास में वृद्धि करने का वादा तो पूरा नहीं किया, लेकिन कई छोटी और बड़ी हर कंपनी या तो बंद या तो बंद होने के कगार पर आ गई। जिसके चलते गयी और कही-कही तो बड़ी तदाद में कर्मचारियों की छुट्टी की जा रही है।

पिछले दिनों खराब वित्तीय हालत के चलते अस्थायी रूप से परिचालन बंद कर चुकी जेट एयरवेज के करीब 23 हजार कर्मचारियों के सामने रोजी रोटी का संकट आ गया था। विमानन कंपनी के कर्मचारी सड़कों उत्तर गए थे और वे लगातार सरकार से इसे फिर से चालू कराने की अपील कर रहे थे।

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दरअसल अभी का मामला रिलायंस जियो का है जहां लागत में कमी करने और कामकाजी मुनाफ़े में सुधार के लिए अपने कर्मचारियों की संख्या में बड़ी कटौती कर रही है। मुकेश अम्बानी की इस कम्पनी से 5000 हज़ार कर्मचारियों की छुट्टी कर दी गयी है। कंपनी का कहना है की लागत पर बचत के लिए कंपनी ने यह फैसला लिया है।

वही इनका कहना है की जनवरी-मार्च में कामकाजी मुनाफ़े में कमी आने के बाद उसमे सुधार के लिए यह फैसला लिया गया है। हालांकि की जियो प्रवक्ता ने इस खबर से इंकार करते हुए कहा की हमारी कम्पनी अलग-अलग परियोजनाओं के लिए कई कंपनियों के साथ मिलकर अनुबंधन पर काम करती है।

जहाँ पर यह कंपनियां कर्मचारियों को अनुभानधन पर नियुक्त करती है। हालांकि मामले से जुड़े लोगों का कहना है की अभी तक 5000 लोगों को बहार का रास्ता दिखा दिया गया है। जिनमे से 500-600 स्थायी कर्मचारी भी थे। वहां के एक शख्श ने कहा है की कम्पनी ने मैनेजर पद पर नियुक्त लोगों से कहा है की लोगों की छटनी करनी है। जिनमे से प्रशासन, स्पाई चेन और एचआर विभाग के लोग खासतौर पर प्रभावित हुए है।

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