मोदी सरकार के दौरान एक करिश्मा देखने में बार-बार आ रहा है। कई कम्पनियाँ ऐसी सामने आई हैं जो केवल एक साल पहले तक कुछ हज़ारों की कमाई कर रही थीं लेकिन अचानक उनकी कमाई करोड़ों की हो गई है। और इनके मालिकों के संबंध सरकार के नुमाईदों से हैं। इसे कई लोग जयशाह मॉडल भी कह रहे हैं।

पीएम मोदी ने हाल ही में एक योजना का ऐलान करते हुए कहा है कि अब छोटे एवं मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) को 59 मिनट में लोन मिल जाएगा। ये लोन की योजना ख़ास एमएसएमई के लिए लाइ गई है। ये योजना जीएसटी में रजिस्टर्ड एमएसएमई के लिए है और लोन पर 2 प्रतिशत ब्याज की सब्सिडी भी डी जाएगी।

इस लोन के लिए जिस वेंडर को चुना गया है वो है ‘केपिटलवर्ल्ड प्लेटफार्म प्राइवेट लिमिटेड’। जब आप लोन के लिए आवेदन करेंगें तो ये आवेदन इसी कंपनी के पास जाएगा और यही आपकी सारी जानकारी लोन के लिए बैंक को देगी।

इसके लिए ये कंपनी लगभग 1100 रुपए का शुल्क वसूलेगी और लोन की रकम में से 0.35% हिस्सा भी इसको मिलेगा। लेकिन इस कंपनी पर कई सवाल उठ रहे हैं। क्योंकि इस तरह की सरकारी योजनाओं में काम के लिए अनुभवी कंपनियों को चुना जाता है। लेकिन इस कंपनी का बैकग्राउंड जानकार आपको झटका लगेगा।

इस कंपनी को विनोद मोधा, जिनंद शाह और अविरूक चक्रवर्ती द्वारा शुरू किया गया था। ये तीनों ही वित्तीय क्षेत्र से ताल्लुक रखते हैं। और विनोद मोधा मुद्रा और मुद्रा के सलाहकार रह चुके हैं। जो अनिल अम्बानी की फर्म्स हैं।

वर्ष 2016, में इस कंपनी को 38,888. रुपए और वर्ष 2017 में 15,680 रुपए का सलाना नुकसान हुआ। लेकिन इसके बावजूद इस कंपनी को इस काम के लिए सरकार ने चुन लिया। इसकी कीमत बढ़ाने के लिए 9 सरकारी बैंकों से जुलाई, 2018 में ही 22.5 करोड़ रुपए का निवेश कराया गया।

जिस दिन इस योजना की घोषणा पीएम मोदी ने की उसी दिन 1.69 लाख एमएसएमई की ओर से लोन के लिए रजिस्ट्रेशन किया गया। ये आवेदन 23,582  रुपए के लोन के लिए किये गए। इन लोन में से कंपनी को 0.35% मिलेगा। मतलब सीधा मुनाफा 82.53 करोड़ रुपए।

मतलब जिस कंपनी को दो साल पहले तक 38,888 रुपए का सलाना घाटा हो रहा था उसे एक दिन में 82.53 करोड़ रुपए का फायदा हो गया।

इसी तरह का फायदा भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के बेटे जय शाह की कंपनी टेम्पल इंटरप्राइजेज को भी हुआ था। उस कंपनी को वर्ष 2014-15, में लेवल 50,000 रुपए का फायदा हुआ था। लेकिन अचानक से 2015-16 में कंपनी का मुनाफा 80.5 करोड़ रुपए हो गया।

अब सवाल ये है कि जब ये कंपनी घाटे में चल रही थी तो किस आधार पर इसे सरकारी योजना का हिस्सा बनाया गया? क्यों इसमें सरकारी बैंकों ने निवेश किया?

इस कंपनी के एक संस्थापक अनिल अम्बानी के लिए काम कर चुके हैं। इसलिए इस पर कई सवाल उठ सकते हैं कि क्यों इस तरह के सभी मामलों में अनिल अम्बानी का नाम कहीं न कहीं से सामने आ रहा है

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