सिग्नेचर ब्रिज के उद्घाटन समारोह के दौरान दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी की गुंडागर्दी का एक वीडियो सामने आया है। जिसमें तिवारी को आप समर्थकों और वहां मौजूद पुलिसकर्मियों से हाथापाई करते देखा जा सकता है।

दरअसल, मनोज तिवारी बिना निमंत्रण के उद्घाटन समारोह में सिग्नेचर ब्रिज के निर्माण का क्रेडिट लेने पहुंचे थे। जब वह अपने लोगों के साथ तेज़ी से मंच के करीब जाने लगे तो आप समर्थकों और पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की।

लेकिन वह रुकने को तैयार नहीं हुए और आप समर्थकों के साथ ही पुलिस पर भी बरस पड़े। बताया जा रहा है कि इस दौरान तिवारी ने एक पुलिस अधिकारी को धमकी देते हुए मुक्के से मारा।

उधर, तिवारी ने पुलिस और आप समर्थकों पर उलटा उनके साथ बदसलूकी करने का आरोप लगाया है। बीजेपी सांसद ने कहा, ‘पुलिस के कुछ लोगों ने अरविंद केजरीवाल के साथ मिलकर मेरे साथ धक्का-मुक्की की है। उन लोगों की भी शिनाख्त हो गई है’। तिवारी ने धमकी देते हुए कहा ‘इन लोगों को चार दिनों में बताऊंगा कि पुलिस क्या होती है’।

इसके साथ ही मनोज तिवारी ने ओखला से आप विधायक अमानतुल्लाह खान पर उन्हें धक्का देने का आरोप लगाया है। बीजेपी सांसद ने कहा कि बेल पर रिहा आप विधायक ने उन्हें मंच से धक्का दिया और गोली मारने की धमकी दी। हालांकि आप विधायक ने तिवारी के आरोप को ग़लत बताया है।

अमानतुल्लाह ने कहा, वह (मनोज तिवारी) स्टेज पर चढ़ने की कोशिश कर रहे थे, मैंने सिर्फ उन्हें रोका। धक्का नहीं दिया। वह जिस तरह का बर्ताव कर रहे थे उससे ऐसा लग रहा था कि अगर वह स्टेज पर चढ़ जाते तो मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के साथ बुरा व्यवहार कर सकते थे’।

वहीं आप नेता दिलीप पांडेय ने कहा ‘हजारों लोग यहां बिना किसी आमंत्रण के यहां आए थे, लेकिन मनोज तिवारी खुद को वीआईपी समझते हैं। वह यहां गुंडागर्दी कर रहे थे। बीजेपी के लोग आप कार्यकर्ताओं और स्थानीय लोगों को धमका रहे थे।

क्या है बहुप्रतिक्षित सिग्नेचर ब्रिज की पूरी कहानी?

सिग्नेचर ब्रिज का प्रस्ताव 2004 में पेश किया गया था जिसे 2007 में दिल्ली मंत्रिपरिषद की मंजूरी मिली थी। शुरुआत में अक्टूबर 2010 में दिल्ली में आयोजित होने वाले कॉमनवेल्थ गेम के पहले 1131 करोड़ रूपए की संशोधित लागत में पूर्ण होना था।

इस परियोजना की लागत 2015 में बढ़कर 1,594 करोड़ रूपए हो गई। जब पहली बार इस ब्रिज को 1997 में प्रस्तावित किया गया था तब इसकी लागत 464 करोड़ रुपए आंकी गई थी। अभी यह ब्रिज वजीराबाद पुल के ट्रैफिक के बोझ को साझा करेगा। इस ब्रिज के बनने से नार्थ और नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली के बीच यात्रा का समय कम हो जाएगा।

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