केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में सीबीआई की स्थिति को देखकर कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है. सीबीआई की वर्तमान कार्यशैली को देखते हुए मद्रास हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा है कि पिंजड़े का तोता सीबीआई को रिहा करो.

मालूम हो कि डाॅ मनमोहन सिंह की सरकार के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को पिंजड़े का तोता करार दिया था.

कोर्ट ने कहा कि केंद्रीय जांच ब्यूरा यानी सीबीआई को एक ऐसा स्वायत्त निकाय होना चाहिए जो केवल संसद के प्रति जवाबदेह हो. सीबीआई एक ऐसी संस्था हो जो सिर्फ संसद को रिपोर्ट करे.

बताते चलें कि मौजूदा दौर में सीबीआई पर केंद्र सरकार के हाथों की कठपुतली बनने का आरोप लग रहा है और कई मामलों में साफ साफ इसकी कार्रवाई में राजनीतिक पक्षपात झलक भी जाता है.

विपक्ष तो साफ तौर पर कहता है कि सीबीआई समेत तमाम केंद्रीय जांच एजेंसिया आज की तारीख में बीजेपी का पाॅलिटिकल टूल बन गया है.

टीएमसी प्रमुख एवं पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी तो डंके की चोट पर कहती हैं कि सीबीआई का मतलब वह एजेंसी है जिसका मतलब साजिश ब्यूरो आॅफ इंवेस्टिगेशन है जो पीएम मोदी द्वारा कंट्रोल की जाती हैं.

पिछले कुछ सालों में कई विपक्षी नेताओं पर सीबीआई द्वारा केस दर्ज करने एवं उसकी जांच की बात सामने आ जाती है जबकि समान मामले में भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टी के नेताओं के मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है.

मद्रास हाईकोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि सीबीआई को सीएजी की तरह एक ऐसी स्वायत्त संस्था होनी चाहिए जो सिर्फ संसद के प्रति जवाबदेह हो.

कोर्ट ने मौजूदा व्यवस्था में व्यापक बदलाव की बात कही. कोर्ट ने अपने 12 प्वांइंट्स के निर्देेशों में कहा कि यह निर्देश पिंजड़े में बंद सरकारी तोते को रिहा करने का प्रयास है.

मालूम हो कि जब कांग्रेस की सरकार के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को सरकारी तोता करार दिया था तब बीजेपी ने इसे लेकर खूब हो हल्ला मचाया था लेकिन सरकार में आते ही बीजेपी कांग्रेस से भी दो कदम आगे बढ़ती हुई दिखाई दे रही है.

मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि सीबीआई की स्वायत्ता तभी सुनिश्चित होगी जब उसे वैधानिक मान्यता प्रदान की जाएगी.

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि भारत सरकार को यह निर्देश दिया जाता है कि एक अलग अधिनियम बनाने पर वह विचार करे जिससे की केंद्रीय जांच ब्यूरो केंद्र के प्रशासिनक नियंत्रण से बाहर आकर निष्पक्षतापूर्वक काम कर सके.

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