एक तरफ देश कोरोना की दूसरी लहर की विभीषिका से जूझ रहा है, दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल में चुनाव चल रहा है। वहां कोरोना नियमों को तक पर रखते हुए चुनाव लड़ा जा रहा है। राजनीतिक रैलियों के ज़रिये ये बीमारी और तेज़ी से फ़ैल रही है।
इसी कारण कोलकाता हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग को, अधिकार होने के बावजूद ज़रूरी कदम न उठाने को लेकर फटकार लगाई है।
NDTV की खबर के अनुसार कोर्ट ने कहा, “चुनाव आयोग के पास फैसले लेने का अधिकार है, लेकिन वो इस कोरोना वाले समय में चुनाव को लेकर क्या कर रहा है?
चुनाव आयोग केवल सर्कुलर पारित कर रहा है और बाकी सब लोगों पर छोड़ दे रहा है। लेकिन चुनाव आयोग के पास इसे लागू करने का अधिकार है।”
हाई कोर्ट के मुताबिक, चुनाव आयोग ने अपनी ज़िम्मेदारी पूरी नहीं की है। इसी के साथ कोर्ट ने आयोग को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर वो एक्शन नहीं लेगा तो कोर्ट को लेना पड़ेगा।
इससे पहले, राज्य के दो राजनितिक नेताओं ने याचिका डालकर मांग की थी कि कोरोना महामारी के कारण बचे हुए तीन फेज के चुनाव को एक ही साथ करवा देना चाहिए। हालाँकि, चुनाव आयोग ने याचिका को ठुकरा दिया था।
आज राज्य में छठे फेज के चुनाव हो रहे हैं। गृह मंत्री अमित शाह तीन चुनावी रैलियां में भाग लेने वाले हैं।
इसके अलावा भाजपा के दूसरे बड़े नेता भी बंगाल में रैलियां करने वाले हैं। राहुल गांधी और ममता बनर्जी ने बंगाल में अपनी सभी रैलियां रद्द कर दी थी।
20 अप्रैल को पश्चिम बंगाल में 10,784 नए कोरोना मामले आए जिसके बाद राज्य में कुल 6,88,956 मामले हो गए। अब तक राज्य में कोरोना के कारण लगभग 11 हज़ार लोगों की मौत हो चुकी है।
#कोविद के तेजी से बढ़ते संक्रमण के बाद भी चुनावी रैली और जनसभा को लेकर कोलकत्ता हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग पर सख्त टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि आयोग अपनी शक्ति का प्रयोग नहीं कर रहा है, वो अपने पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन के कामकाज का 10% भी अमल कर लेता तो हालात बेहतर रहते
— पंकज झा (@pankajjha_) April 22, 2021