प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा में जिन किसानों को ‘आंदोलन जीवी’ बता रहे हैं, वह अपने हक़ की लड़ाई लड़ते हुए आंदोलन के दौरान सड़कों पर जान गंवा रहे हैं।

ताज़ा मामला टिकरी बॉर्डर से सामने आया है। यहां धरने पर बैठे एक और बुज़ुर्ग किसान की मौत हो गई है।

मृतक किसान की पहचान विजेंद्र सिंह के रूप में हुई है। उनकी उम्र 65 साल बताई जा रही है। वह झज्जर जिले के छारा गांव के रहने वाले थे। टिकरी बॉर्डर पर आंदोलन के दौरान उनकी अचानक तबियत खराब हो गई।

जिसके बाद उन्हें रोहतक के पीजीआई में भर्ती कराया गया। जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। माना जा रहा है कि उनकी तबीयत ठंड लगने से बिगड़ी थी।

जानकारी के मुताबिक, विजेंद्र मोदी सरकार के नए कृषि कानूनों के ख़िलाफ़ पहले दिन से आंदोलन कर रहे थे। विजेंद्र गांव में अपनी एक एकड़ ज़मीन पर खेती से गुजारा करते थे।

उन्हें अंदेशा था कि नए कृषि कानूनों के लागू होने के बाद उनकी स्थिति और बिगड़ सकती है।

बता दें कि टिकरी बॉर्डर पर किसानों की मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। इससे दो दिन पहले दिल्ली-हरियाणा के टिकरी बॉर्डर पर एक किसान ने फांसी लगाकर जान दे दी थी। मरने से पहले मृतक किसान कर्मबीर ने सुसाइड लिखा था, जिसमें उन्होंने केंद्र सरकार के खराब रवैये से परेशान होने की बात लिखी थी।

कर्मबीर ने सुसाइड नोट में लिखा था, “भारतीय किसान युनियन जिन्दाबाद। प्यारे किसान भाइयों ये मोदी सरकार तारीख पर तारीख देता जा रहा है इसका कोई अंदाजा नहीं कि ये काले कानून कब रद्द होंगे। जब तक ये काले कानून रद्द नहीं होंगे तब तक हम यहां से नहीं जाएंगे”।

52 वर्षीय कर्मबीर हरियाणा के जींद जिला के सिंघवाल गांव के रहने वाले थे। कर्मबीर की तीन बेटियां हैं और एक बेटी की शादी हो चुकी है।

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