हरियाणा के चरखी दादरी के एक गाँव में दीवार फाँदकर श्मशान घाट में अर्थी ले जा रहे लोगों का एक विडियो सामने आया है।
सोमवार को सोशल मीडिया पर शेयर किए गए इस विडियो के वायरल होने के बाद ये मुद्दा मंगलवार सुबह गांव के एसडीएम तक जा पहुंचा। जिसके बाद दोनों पक्ष एसडीएम से मिले।
माना जा रहा है कि एक समुदाय विशेष के लोगों ने दूसरे समुदाय के लोगों का रास्ता बाधित किया था। जबकि दूसरे पक्ष ने इस बात को पूरी तरह नकारते हुए कहा कि रास्ता होने के बावजूद जान-बूझकर अर्थी को दीवार फांदकर ले जाया गया, ताकि गांव का भाईचारा बिगड़े।
क्योंकि पीड़ित पक्ष SC समुदाय से है इसलिए मामला जातिवादी भेदभाव का लग रहा है।
इस घटना के विडियो को अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर करते हुए एक्टिविस्ट सूरज कुमार बौद्ध ने कथित हिंदू संगठनों पर निशाना साधा और लिखा “क्या किसी हिंदू संगठन ने चरखी दादरी (हरियाणा) की इस आतंकी घटना की निंदा की?
SC समाज को समझ जाना चाहिए कि वे हिंदू नहीं हैं। यहां उनकी लाशों के साथ भी भेदभाव होता है। बुद्धिस्ट बनो।”
सूरज के इस ट्वीट को रीट्वीट कर पत्रकार दिलीप मण्डल ने भी अपनी प्रतिक्रिया देते हुए लिखा, “सिर्फ वोट लेने और दंगा करने के समय ही SC/ST जाति के लोग हिंदू में गिने जाते हैं।”
सही बात। सिर्फ वोट लेने और दंगा करने के समय हिंदू में गिने जाते हैं। https://t.co/WcA96swvsJ
— Dilip Mandal (@Profdilipmandal) July 13, 2022
अमर उजाला में छपी खबर के अनुसार बीडीपीओ द्वारा एसडीएम को हाल ही में सौंपी गई रिपोर्ट में श्मशान घाट में जाने का रास्ता होने की बात कही गई है।
जानकारी के मुताबिक, इस घाटना की जांच अभी जारी है। एसडीएम का कहना है कि आपसी भाईचारा खराब न हो, इसके लिए प्रशासन सतर्क है।
इस मामले की सच्चाई सामने आने में भले ही वक्त लग रहा हो, मगर ये बात मानने में बिल्कुल भी वक्त नहीं लगना चाहिए कि इस देश में आज तक जातिवाद का ज़हर इस कद्र व्याप्त है कि लाशों तक से भेदभाव होता है।