23 अप्रैल को तीसरे चरण के लिए 15 राज्यों के 117 सीटों पर मतदाना हुआ। केरल से लेकर यूपी तक देश के अलग-अलग हिस्सों से ईवीएम में गड़बड़ी की खबर सामने आ रही है। तमाम विपक्षी नेता आपत्ति दर्ज कर रहे हैं।

उत्तर प्रदेश के रामपुर लोकसभा सीट पर लगभग 300 EVM खराब होने की शिकायत की दर्ज करायी गई है। सपा से रामपुर प्रत्याशी आजम खां के विधायक बेटे अब्दुल्ला आजम खां की माने तो करीब 300 ईवीएम खराब हैं। इस अलावा उन्होंने सुरक्षाबलों पर डराने धमकाने का आरोप भी लगाया।

इतनी बड़ी संख्या में EVM खराब होने की शिकायत पर रोस जताते हुए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट किया। अखिलेश ने लिखा ‘पूरे भारत में ईवीएम खराब या भाजपा के लिए मतदान। डीएम का कहना है कि ईवीएम का संचालन कर रहे मतदान अधिकारियों को ट्रेनिंग नहीं दी गई है।

350 से अधिक ईवीएम को बदला जा चुका है। जिस चुनाव के लिए 50,000 करोड़ रुपए खर्च होते हैं, वहां ऐसी घटना आपराधिक लापरवाही है। क्या हमें डीएम पर विश्वास करना चाहिए, या कुछ और भी है जो इससे भी अधिक भयावह है?’

जाहिर है पहले भी ईवीएम पर सवाल उठते रहे हैं और अखिलेश यादव का ये आरोप उसी कड़ी का हिस्सा है। इन आरोपों पर चुनाव आयोग को संज्ञान लेना है। लेकिन मीडिया चुनाव आयोग से आगे बढ़कर ईवीएम पर सवाल उठाने वाले नेताओं पर ही सवाल उठा रहा है?

हिंदी न्यूज चैनल आजतक ने अपने पांच बजे के शो दंगल का टॉपिक रखा ‘EVM पर भरोसा नहीं बनाने चले PM?’ शो के एंकर रोहित सरदाना ने पोस्टर शेयर करते हुए लिखा चुनाव के तीसरे ही चरण में टूट रहा भरोसा? EVM के ख़िलाफ़ क्यों उठने लगे सवाल? योगी कहें मोदी की लहर – अखिलेश बोलें EVM का क़हर? EVM पर भरोसा नहीं, PM की जोड़-तोड़ शुरू? आज का ‘दंगल’ लखनऊ से. 5PM. @aajtak पर.

मीडिया का काम सत्ता से सवाल करना होता है लेकिन गोदी मीडिया ये सब नहीं मानती। वो सिर्फ और सिर्फ विपक्ष से सवाल पूछती है। आजतक का ये सवाल खास घृणा से लबरेज मालूम पड़ते। क्योंकि पहले चरण के चुनाव में आंध्र प्रदेश के मुख्‍यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने ईवीएम को लेकर हंगामा खड़ा किया था लेकिन उनपर ऐसा कोई सवाल नहीं उठाया आजतक ने। शायद उन्हें पता है मोदी को जितनी टक्कर मायावती-अखिलेश से मिल रही है उतनी नायडू से नहीं।

ख़ैर मुख्य सवाल ये है कि क्या ईवीएम पर सवाल उठाने वालों को प्रधानमंत्री बनने का हक नहीं है? अगर ऐसा है तो फिर नरेंद्र मोदी को भी प्रधानमंत्री बनने का हक नहीं है। साल 2009 के लोकसभा चुनाव में जब बीजेपी को को चुनावी हार मिली, तब पार्टी के नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने सबसे पहले ईवीएम पर सवाल उठाए थे।

बीबीसी में प्रकाशित एक लेख के मुताबिक, भाजपा ने कई भारतीय और विदेशी विशेषज्ञों, कई गैर सरकारी संगठनों और अपने थिंक टैंक की मदद से ईवीएम मशीन के साथ होने वाली छेड़छाड़ और धोखाधड़ी को लेकर पूरे देश में अभियान चलाया।

बीजेपी प्रवक्ता ने बकायदा किताब लिख डाली थी। किताब का शिर्षक- ‘डेमोक्रेसी एट रिस्क, कैन वी ट्रस्ट ऑर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन?’

इतना ही नहीं पुस्तक में वोटिंग सिस्टम के एक्सपर्ट स्टैनफ़र्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर डेविड डिल ने भी बताया है कि ईवीएम का इस्तेमाल पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है।

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