‘भारत गहरी आर्थिक मंदी की चपेट में !’ क्या यह हेडलाइन किसी अखबार में पहले पन्ने पर बड़े बड़े फॉन्ट में आज कही छपी है ?

कल सरकार ने इस वित्तवर्ष की दूसरी तिमाही के परिणाम घोषित किये है। 2020-21 की दूसरी तिमाही की जीडीपी में 7.5 फ़ीसद की गिरावट दर्ज की गई है और तकनीकी रूप से यह मंदी की पुष्टि करता है। लगातार दो तिमाही में निगेटिव ग्रोथ को मंदी माना जाता है।

भारत इतिहास में पहली बार तकनीकी रूप से मंदी में प्रवेश कर गया है। लगातार दो तिमाहियों में जीडीपी बढ़ने की जगह घटी है। देश में आर्थिक मंदी के होने की बात लंबे समय से कही जा रही है. कल इस बात पर मुहर लग गयी हैं।

दो साल पहले जुलाई-सितंबर की तिमाही में देश की जीडीपी ग्रोथ 7.1% थी, 2019-20 में पिछले साल जुलाई सितंबर में जीडीपी ग्रोथ 4.5% पर थी।

यह उस वक्त पिछले 7 साल में जीडीपी की विकास दर सबसे कम थी लेकिन इस बार तो वर्स्ट हो गयी हैं यह साल दर साल भयानक रूप से गिर रही है।

ऐसे बहुत से लोग आपको मिल जाएंगे जो कहेगे कि इसमे मोदी जी की क्या गलती। वो क्या करे जब कोरोना काल की वजह से पूरी दुनिया में ऐसा ही चल रहा है लेकिन दरअसल हमारा मीडिया पूरी सच्चाई बताता कहा है ?

क्या आप जानते हैं कि इसी तिमाही में जब भारत की इकनॉमी में 7.5 प्रतिशत की गिरावट है तब दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका में इसी तिमाही में जबरदस्त उछाल आया और 33.1 फीसदी की रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की गयी।

चीन में भी 2020-21 की इसी तिमाही में विकास दर 4.9% दर्ज की गई है यूरोप के यूरो जोन की जीडीपी इसी तिमाही में 12.7% की ग्रोथ है।

अच्छा बड़े देशो को छोड़ दीजिए, छोटे देशो को हमारे पड़ोसी देशों को ही देख लीजिए साफ दिख रहा है कि भारत मंदी झेल रहा है जबकि हमारे पड़ोसी देश इस वक्त भी तरक्की कर रहे हैं बांग्लादेश की प्रति व्यक्ति जीडीपी में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।

आपको जानकर आश्चर्य होगा कि पांच साल पहले भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी बांग्लादेश से 25 प्रतिशत ज्यादा थी. अब हम बांग्लादेश से भी पीछे चल रहे हैं ये मोदी जी की 18 – 18 घण्टे मेहनत करने का नतीजा है।

वियतनाम को देख लीजिए। नेपाल को देख लीजिए। चलिए पाकिस्तान को ही देख लीजिए। सबसे बुरी कंडीशन में हमारी ही इकनॉमी है।

( यह लेख गिरीश मालवीय की फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है )

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