देश का अन्नदाता किसान सड़कों पर दम तोड़ रहा है। सरकार इस भीषण ठंड और देश का पेट भरने वालों की नाराजगी पर सिर्फ बातचीत का रास्ता अपना रही है।

पंजाब, राजस्थान, हरियाणा और उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड के करीब-करीब दर्जनों किसान दम तोड़ चुके हैं।

आज सुबह दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर उत्तराखंड से आए 70 साल के बुजुर्ग किसान का शव टॉयलेट में फंदे से लटकता मिला है।

बताया जा रहा है कि, किसान की पहचान कश्मीर सिंह के नाम से हो गई है। खुदकुशी करने से पहले किसान ने सुसाइड नोट भी लिखा है। जिसमें आंदोलन की जगह पर अंतिम संस्कार करने की बात लिखी है।

राजधानी दिल्ली में दिन व दिन गिरता तापमान और सरकार की उसपर लापरवाह नीयत सवाल खड़े कर रही है।

एक तरफ सरकार बातचीत का सिलसिला जारी रखे हुए है। दूसरी तरफ उनके समर्थक और नेता किसानों को बदनाम करने की कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे हैं।

पिछली बातचीत में तो केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल भी किसानों को धमकाते हुए नजर आए हैं। इससे सरकार की नीयत का साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि, किसान सरकार नहीं बल्कि बड़े बाजार के लोगों से लड़ रहे हैं।

इसमें सरकार ज्यादातर किसानों के साथ नहीं बाजार, पूंजीपतियों के साथ खड़ी नजर आ रही है।

करीब 50 किसानों की जान आंदोलन में जा चुकी है फिर भी सरकार चुप्पी साधे तमाशा देख रही है।

किसान भी लंबी लड़ाई लड़ने के लिए घरों से निकल रहे हैं। देशभर में लाखों किसान सरकार की नीतियों और नीयत से नाराज है।

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