प्रचंड बहुमत से केंद्र की सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश में एक साथ केंद्र और राज्यों के चुनाव कराने के एजेंडे पर काम कर रहे हैं। इसी को लेकर पीएम ने दिल्ली में विपक्षी दलों के अध्यक्षों की बैठक बुलाई है। लेकिन इस बैठक का बसपा, कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस समेत कई अन्य पार्टियों ने विरोध किया है।

बसपा सुप्रीमो मायावती ने इस बैठक को वॉक आउट करते हुए एक बयान जारी किया है। उन्होंने अपने बयान में कहा है कि, “एक देश एक चुनाव देश का मुद्दा नहीं है बल्कि बीजेपी का नया ढकोसला है ताकि ईवीएम की इनकी सुनियोजित धांधलियों के माध्यम से देश के लोकतंत्र की हाईजैक करने की गंभीर चिंता की तरफ से लोगों का ध्यान बांटा जा सके।”

“बीजेपी की सरकार को ऐसी सोच और मानसिकता से दूर रहने की जरुरत है जिससे देश का संविधान और लोकतंत्र को नुकसान न पहुंचे।”

“भारत जैसे दुनिया के सबसे बड़े लोकतान्त्रिक देश में एक देश एक चुनाव के बारे में सोचना ही पहली नजर में अलोकतांत्रिक प्रतीत मालूम होता है। मायावती ने आगे कहा, “केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न पार्टियों के राष्ट्रीय अध्यक्षों की जो बैठक आज दिल्ली में बुलाई गई है उसमें मैं जरुर शामिल होती अगर यह बैठक वास्तव में ईवीएम की राष्ट्रीय चिंता के समाधान के संबंध में बुलाई गई होती।”

गौरतलब है कि, देश में पहले भी एक साथ केंद्र और राज्यों के एक साथ चुनाव हुए हैं। लेकिन तब की परिस्तिथियां अलग थीं। उस समय देश में कांग्रेस के तौर पर एक मात्र बड़ा राजनीतिक दल था। तब कांग्रेस का बोलबाला था, अब देश में बीजेपी का बोलबाला है. बीजेपी चाहेगी कि वो भी जैसे कांग्रेस ने राज किया वैसे ही बीजेपी भी देश में एकछत्र राज करे।

मगर अब क्षेत्रीय दलों के उभार के बाद वन नेशन वन इलेक्शन की कल्पना करना क्षेत्रीय दलों को पीछे करना होगा। इसीलिए मायावती समेत ममता बनर्जी इसका विरोध कर रही हैं।

वहीं पीएम मोदी का मानना है कि देश में लोकसभा के साथ-साथ सभी राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव भी एकसाथ कराए जाएं जिससे धनबल के साथ-साथ जन-बल की भी बचत होगी। हालाँकि पीएम के कहे अनुसार क्षेत्रीय दल गर्त में चले जाएंगे।

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