जबसे साध्वी प्रज्ञा ठाकुर भाजपा में शामिल हुई हैं तबसे वो विवादों में बनी हुई हैं. भोपाल से टिकट मिलने के एक दिन बाद ही प्रज्ञा ठाकुर का बयान आया था कि जब वो जेल में थी तब पुलिस ने उन्हें प्रताड़ित किया था. प्रज्ञा ने एक चुनावी सभा में कहा कि इसी वजह से उन्होनें हेमंत करकरे को श्राप दिया जिसके कारण वो मर गए.

अब सामने आ रहा है कि प्रज्ञा ठाकुर का टॉर्चर वाला आरोप झूठा है.

सुप्रीम कोर्ट, बॉम्बे हाई कोर्ट और यहां तक कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने प्रज्ञा ठाकुर के इस आरोप को बेबुनियाद और झूठा पाया था.

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साल 2015 में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने केस बंद करते हुए कहा था कि प्रज्ञा ठाकुर के आरोप किसी ‘तथ्यों पर आधारित नहीं हैं. आयोग ने ये फैसला जेल, कोर्ट और अस्पताल, जहां प्रज्ञा दाखिल थीं, वहां पर पाए गए सबूतों के आधार पर दिया था.’

दरअसल, प्रज्ञा ठाकुर 2008 के मालेगांव ब्लास्ट केस में आज भी अभियुक्त हैं। मालेगांव ब्लास्ट को जांच एजेंसियों ने आतंकवादी हमला बताया था। इस मामले में प्रज्ञा ठाकुर 9 साल जेल की सजा काट चुकी हैं और फिलहाल ‘हेल्थ ग्राउंड’ पर जमानत लेकर बाहर हैं।

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जब प्रज्ञा ठाकुर जेल में थी तब वो हेमंत करकरे की हिरासत में थी. लेकिन, महाराष्ट्र एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे नवंबर 2008 में मुंबई के 26/11 हमलों के दौरान आतंकवादियों से लड़ते हुए शहीद हो गए थे। करकरे को इस बहादुरी के लिए साल 2009 में मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था।

ये सोचने वाली बात है कि भाजपा ने आतंकवाद के आरोपी शख्स को चुनावी टिकट दिया है. इससे ये साफ़ हो जाता है की मोदी और भाजपा जीतने के लिए किसी भी स्तर तक जा सकती हैं.

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