अमर उजाला में एक खबर छपी है कि सपा के शासनकाल में अनारक्षित हजार पदों पर OBC की नियुक्ति कर दी गई थी और सीएम योगी ने इसपर अब सख्त तेवर अपनाए हैं.

प्रथमदृष्टया, इस खबर को देखकर लग सकता है कि किसी के साथ अन्याय किया गया है लेकिन एक ऐसे माहौल में जब जगह जगह से यह खबरें आती हैं कि आरक्षण खत्म किया जा रहा है, आरक्षित पदों को नहीं भरा जा रहा है। वहां इस तरह की खबर आ रही है कि सामान्य पदों पर ओबीसी की नियुक्ति कर दी गई थी, तो यह बेहद अलग और सामाजिक न्याय के अनुकूल मामला लगता है।

वैसे यह समझना होगा कि आरक्षण के मूल उद्देश्य के मुताबिक, ऐसा कहीं भी उल्लेखित नहीं है कि सामान्य वर्ग में OBC या एससी वर्ग के लोगों की नियुक्ति नहीं हो सकती। सामान्य का मतलब सवर्ण वर्ग नहीं होता है। सामान्य का मतलब होता है ‘सभी के लिए ओपन सीट’।

हालांकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे ग़लत मानते हुए सख्त एक्शन लेने के तेवर दिखाए हैं और कहा है कि इस मामले में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दे दिए हैं। इसे गड़बड़ी और घोटाले के तौर पर देखा जा रहा है।

आरोप है कि सपा के शासनकाल में 2831 पदों पर चकबंदी लेखपाल की भर्ती हुई थी।

किसी एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया है कि जाँच के मुताबिक, अनारक्षित वर्ग के करीब हजार पदों पर OBC वर्ग के अभ्यर्थियों की भर्ती कर दी गई थी।

राजनीति की विडंबना देखिए- एक तरफ समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव पर आरोप लग रहे हैं कि उन्होंने सामान्य वर्ग की सीटों पर ओबीसी की नियुक्ति कर दी है तो दूसरी तरफ योगी आदित्यनाथ ने खुलेआम वैकेंसी निकाल दी है जिसमें OBC के लिए आरक्षण ही नहीं है

उन्होंने 1364 पदों के लिए वैकेंसी निकाली, जिसमें 1002 पद सामान्य श्रेणी के लिए और 362 पद एस सी श्रेणी के लिए शामिल है।

इस खबर की के पीछे की राजनीति को समझी जाए तो साफ-साफ शब्दों में ओबीसी को एक भी सीट आरक्षण ना देने वाले योगी आदित्यनाथ उस मामले को अपराध मान रहे हैं जिसमें ओबीसी को सामान्य वर्ग में सीटें मिली हैं।

अगर योगी के आरक्षण विरोधी कार्य को प्रचारित प्रसारित किया गया और समाजवादी लोग इस बात को लोगों को समझाने में सफल रहे तो दलितों और पिछड़ों के बीच योगी को लेकर नाराजगी बढ़ेगी और अखिलेश को लेकर एक अच्छी भावना जागेगी। जिसका भाजपा को बड़ा नुकसान हो सकता है।

इसी का उल्लेख करते हुए दिलीप मंडल लिखते हैं कि अगर पिछड़ों को यह बात समझ में आ गई कि अखिलेश यादव ने पिछड़ों के साथ न्याय किया है तो फिर पिछड़े वोटर सपा-बसपा गठबंधन को 50% से ज्यादा वोटों से नहला देंगे क्योंकि यूपी में पिछड़ों की आबादी 50% से ज्यादा है।

दिलीप मंडल ने इसे न्यायपूर्ण बताया है और कहा है कि अगर कोई ओबीसी मेरिट लिस्ट में आता है तो उसे जनरल की सीट मिलनी चाहिए।

इसमें कोई संदेह नहीं है कि अगर इस बात को दलित पिछड़ों के बीच आसानी से समझाया जा सके तो इसका फायदा सपा-बसपा गठबंधन को मिलेगा और ऐसे चुनावी सीजन में एकतरफा पोलराइजेशन हो जाएगा कि उनका पूर्व मुख्यमंत्री पिछड़ों को प्रतिनिधित्व देने के लिए प्रतिबद्धता था।

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